GST IN HINDI
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क्या एक से ज्यादा बिजनेस करने वालों का काम एक ही रजिस्ट्रेशन से चल जाएगा।
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ऐसे बहुत से सवाल हैं, जिनका जवाब लोग जानना चाहते हैं।
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यहां हम अपको कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब दे रहे हैं।
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ये जवाब भारत सरकार की ओर दिए गए हैं। सरकार ने इन्हें विज्ञापन के जरिए लोगों को तक पहुंचाने की कोशिश भी की है।
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1 जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद आप टेंशन फ्री रहना चाहते हैं, तो इन सवालों के जवाब आपको जरूर जानने चाहिए।
सवाल: मेरा बिजनेस कई राज्यों है। हर राज्य में टर्नओवर 20 लाख रुपए से कम है। तो क्या मुझे जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करना होगा, जबकि 20 लाख सालाना से कम टर्नओवर वाले बिजनेस का रजिस्ट्रेशन जीएसटी में जरूरी नहीं है।
जवाब: आपको रजिस्ट्रेशन कराना होगा। एक देश एक टैक्स होने के चलते अगर पूरे देश में कुल कारोबार 20 लाख से ज्यादा पहुंच रहा है तो आपको रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
सवाल: मान लीजिए मै वकील हूं। मैंने अभी तक सर्विस टैक्स देता था। अब जीएसटी में रिवर्स चार्ज के तहत मैं एक से ज्यादा राज्यों में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। क्या मुझे जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करना चाहिए।
जवाब: नहीं अगर आपकी सर्विस पर आपका क्लाइंट आरसीएम (रिवर्स चार्ज मैकेजिज्म) के तहत जीएसटी चुका रहा है तो आपको रजिस्ट्रेशन की जरूत नहीं है।
नोट: पुराने कानून के तहम अभी तक वकील या डॉक्टर जो सर्विस देते थे, उसपर उनसे सर्विस चार्ज वसूला जाता था। वहीं GST में यह टैक्स ग्राहक या क्लांट को देना होगा। इसे ही रिवर्स चार्ज मैकेजिज्म कहा जा रहा है।
सवाल: मान लीजिए मैं लखनऊ में रहता हूं। वहीं मैं वकालत करता हूं या मरीज देखता हूं या कोई और सर्विस देता हूं। लेकिन मैंने मुंबई और दिल्ली में भी अपनी सर्विस दी, तो क्या मुझे इन दोनों राज्यों में भी खुद को रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
जवाब: ऐसा करना जरूरी नहीं हैं। अगर आप यूपी में रजिस्टर्ड हैं तो आपको महराष्ट्र या दिल्ली में रजिस्टर्ड होने की जरूरत नहीं है। दूसरे राज्य या शहर में सर्विस देने पर उस सर्विस का भुगतान आप आईजीएसटी के तहत कर दें।
सवाल: मैं जीएसटी में रजिस्टर हो गया हूं। पर इनपुट सर्विस डिस्टीब्यूटर (ISD) के तौर पर भी रजिस्टर होना चाहता हूं। इसका प्रॉसेस क्या है
जवाब: इसके लिए आपको नया रजिस्ट्रेशन करना होगा। जीसटी रजिस्ट्रेशन से काम नहीं चलेगा।
नोट: जीएसटी में इनपुट सर्विस डिस्टीब्यूटर (ISD) मैन्युफैचचर या सर्विस प्रोवाइडर के ऑफिस को कहा जाता है। जहां वह रह तरह के जीएसटी के तहत रिटर्न भरेगा।
सवाल: जमीन, मकान या अन्य किसी संपत्ति को किराए पर देने से मुझे साल भर में 20 लाख या उससे ज्यादा की इनकम होती है। क्या मुझे जीएसटी में खुद को रजिस्टर करना होगा।
जवाब: अगर आय 20 लाख से ज्यादा है तो कराना होगा, कम है तो जरूरी नहीं है।
सवाल: अगर मैं ऐसी चीजे (अजान, दाल, आटा, दूध) का बिजनेस करना हूं, जिसपर 0 परसेंट जीएसटी है। हालांकि मेरा टर्नओवर 20 लाख से ज्यादा है, तो क्या मुझे जीएसटी में खुद को रजिस्टर करना होगा।
जवाब: अगर आप सिर्फ उन्हीं चीजों की सप्लाई करते हैं, जिनपर 100 फीसदी की छूट है तो आपको रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं है।
सवाल: मेरा टर्नओवर 20 लाख से कम है, लेकिन मैने स्वेच्छा से जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करा लिया है तो क्या मुझे पहली सप्लाई पर टैक्स देना होगा।
जवाब: हां आपको टैक्स देने वाला व्यक्ति ही माना जाएगा।
सवाल – जीएसटी में रिटेलर्स को किन बातों का ध्यान रखना होगा?
जवाब – जीएसटी की अकाउंटिंग, रिटर्न और रिटर्न की तारीख याद रखें। ये वैट से पूरे तरीके से अलग है इसलिए इसके बारे में रिटेलर को समझना जरूरी है। रिटेलर को अपने 30 जून के क्लोजिंग स्टॉक पर आगे 60 फीसदी पर ही इन्पुट क्रेडिट मिलेगा ऐसे में रिटेलर को 40 फीसदी का नुकसान होगा। रिटेलर को अपने वेंडर या कंपनी से बात करनी चाहिए क्योंकि वेंडर इस रिटेलरों के नुकासन की भरपाई भी कर रही हैं। ऐसे में रिटेलर का नुकसान कुछ हद तक कम हो सकता है।
सवाल – रिटेलरों के बीच जीएसटी को लेकर काफी कन्फ्यूजन और डर है, जिसके कारण वह स्टॉक निकालने के लिए काफी डिस्काउंट भी दे रहें हैं। इस पर आप क्या कहेंगे?
जवाब – जीएसटी में स्टॉक इन्ट्रॉजिशन पर 100 फीसदी इन्पुट क्रेडिट नहीं मिलने से ट्रेडर को होने वाले नुकसान से बचने के लिए रिटेलर्स अपने वेंडर या सप्लायर से स्टॉक क्लीयरेंस की स्ट्रैटजी पर काम करें। उनसे नुकसान को कम करने के लिए बारगेन करें। कई कंपनियां स्टॉक क्लीयरेंस में अपने वेंडर की मदद कर रही है। ऐसा करने से उनका नुकसान कम होगा।
सवाल – जीएसटी का रिटेल सेक्टर पर क्या असर होगा?
जवाब – जीएसटी आने से सरकार, रिटेलर और कस्टमर सभी को फायदा होगा। रिटेल सेल का आखिरी प्वाइंट है। मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर में मैन्युफैक्चरिंग राज्यों को फायदा पहुंचता था लेकिन अब उन राज्यों को फायदा होगा जहां सेल हो रही है। जीएसटी से सरकार का टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा। इससे रिटेलर को फायदा क्योंकि वह इंटर स्टेट ट्रेड आसान होगा क्योंकि ट्रेडर को चुंगी टैक्स का डर नहीं होगा। गुड्स का ट्रांसपोर्टेशन जल्दी हो पाएगा।
सवाल – क्या एसोसिएसशन जीएसटी को लेकर ट्रेडर को जागरूक कर रहे हैं। उनको क्या-क्या बदलाव करने होंगे कारोबार में..
जवाब – हां, रिटेलर एसोसिएशन ऑफ इंडिया रिटेलर कम्युनिटी को जागरूक बनाने के लिए काफी काम कर रहे हैं। बीते तीन महीने से रिटेलर्स की जीएसटी को लेकर छोटी-छोटी जानकारी दे रे हैं। उन्हें कैसे बिल बनाना है, अकाउंटिंग, जीएसटी फॉर्म, इन्पुट क्रेडिट रिटर्न, टैक्स रिटर्न फॉर्म की जानकारी दी जा रही है। साथ ही जीएसटी में कैसे रजिस्ट्रेशन कराना है, इसकी वर्कशॉप ऑर्गनाइज की हैं। एसोसिएशन ने हेल्पडेस्क भी बनाया है जहां रिटेलर संपंर्क कर सकते हैं। आईटी कंपनियों के साथ मिलकर रिटेलर फ्रेडंली अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर बनाने पर भी काम कर रहे हैं।
रेस्त्रां में खाना सस्ता हो सकता है। जीएसटी के अंतर्गत रेस्टोरेंट में लगने वाला सर्विस टैक्स और वैट दोनों को जोड़ दिया गया है। एयर कंडीशन रेस्टोरेंट में फूड बिल पर 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा जबकि नॉन एसी रेस्टोरेंट में 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। हालांकि रेस्टोरेंटों द्वारा एसी और नॉन एसी सीटिंग दोनों के लिए 18 प्रतिशत ही चार्ज करेंगी। वर्तमान में खाने के बिल पर दो तरह के टैक्स लगाते हैं। एसी रेस्टोरेंट में फूड बिल पर वैट (12.5 प्रतिशत से 14.5 प्रतिशत, विभिन्न राज्यों के मुताबिक), सर्विस टैक्स (5.6 प्रतिशत), 0.2 प्रतिशत कृषि कल्याण सेस तथा 0.2 प्रतिशत स्वच्छ भारत सेस लगता है। at cess (0.2 per cent)।
राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के लागू होने से पहले 761 दवाओं के अस्थायी अधिकतम मूल्य की घोषणा कर दी है। इनमें कैंसर-रोधी, एचआईवी-एड्स, मधुमेह और एंटीबायोटिक दवाएं शामिल हैं।एनपीपीए ने कहा कि दवाओं की कीमत अंतिम तौर पर नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली लागू होने के बाद तय की जाएगी। इसमें हर राज्य के आधार पर दो से तीन प्रतिशत की घट-बढ़ हो सकती है.। उम्मीद की जा रही है जीएसटी लागू होने के बाद दवाइयां सस्ती होंगी।
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